???? Sukoon Bhari Neend Fundamentals Explained

सपनों की एक जर्नल रखें: बार-बार आने वाले विषयों और ट्रिगर्स की पहचान करने के लिए जागने के तुरंत बाद अपने सपनों को लिखें।

रात में आने वाले डरावने सपने अक्सर तनाव, चिंता, खराब नींद, बुरे अनुभवों या मानसिक दबाव से जुड़े होते हैं. पर्याप्त नींद, मानसिक शांति और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह से इस समस्या को कंट्रोल किया जा सकता है.

स्टूडेंट्स, आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है!

क्या आपको एहसास है बात अब ये ही खास है आपका दिल हमारे पास है हमारा दिल आपके पास है आपका दिल हमारे ... ये क्यूं आज रेशम सी है रोशनी ये क्या गीत सा इन हवाओं में है तुम्हें छू के रेशम हुई रोशनी मेरे दिल की धड़कन फ़िज़ाओं में है बहके बहके कई दिल में जज़्बात हैं जागी जागी कोई अनकही प्यास है आपका दिल हमारे .

पूरी रात सपने क्यों आते हैं, इसके बारे में कई सिद्धांत हैं, लेकिन कोई भी निश्चित रूप से नहीं जानता। कुछ शोधकर्ताओं का ऐसा कहना है कि सपनों का कोई उद्देश्य या अर्थ नहीं होता है। जबकि दूसरे कहते हैं कि हमें अपने मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए सपनों की ज़रूरत है। तो सपने क्यों आते हैं? क्या यह इसका जवाब हो सकता है।

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इसीलिए सपने में भी आपको किसी के पीछा करने का एहसास होता है.

सपने क्यों आते हैं, इसपर दूसरों का कहना है कि हमारे सपने हमारे अपने विचारों और भावनाओं को प्रतिबिंबित कर सकते हैं – ये हमारी गहरी इच्छाएं, भय और चिंताएं को दर्शाते है, विशेष रूप से ऐसे सपने जो बार-बार आते हैं। इसलिए जब भी हम यह सोचे की पूरी रात सपने क्यों आते हैं तो हम अपने सपनों की व्याख्या करके, अपने जीवन और अपने आप में अंतर्दृष्टि को website प्राप्त कर सकते हैं। क्योंकि बहुत से लोग यह दावा करते हैं कि वे अपने सपनों से सबसे अच्छे विचार लेकर आते हैं।

सपनों को एक्सप्लेन करें: उन अंतर्निहित भावनाओं और स्थितियों को समझने के लिए अपने सपनों का विश्लेषण करें जो उन्हें पैदा कर सकती हैं।

अगर आप सोने से ठीक पहले तक खाते रहते हैं तो बुरे सपने आने की आशंका बढ़ जाती है

अच्‍छी नींद चाहते हैं और बुरे सपनों से बचना चाहते हैं तो आपको हफ्ते में कम से कम तीन द‍िन कसरत करनी ही चाह‍िए

किसी काम या बात को लेकर जरूरत से ज्यादा सोचना और चिंता करने से भी बुरे सपने आते हैं, जिसकी वजह से अक्सर रातों को घबराहट होती है और नींद खुल जाती है.

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थेरेपी या काउंसलिंग से मदद मिल सकती है।

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